The Greatest Guide To sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥ ४ ॥
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
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श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
नमस्ते शुम्भ हन्त्र्यै च, निशुम्भासुर घातिनि।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
जाग्रतं हि महादेवि जप ! सिद्धिं कुरूष्व मे।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः